पंजाब, भारत का एक अग्रणी कृषि राज्य, आलू और विशेष रूप से उच्च-गुणवत्ता वाले आलू बीज उत्पादन के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरा है। यह राज्य भारत की खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। प्रौद्योगिकी को अपनाकर, पंजाब आलू क्षेत्र में क्रांति ला रहा है, जिससे अधिक पारदर्शिता और दक्षता आ रही है, साथ ही पुरानी चुनौतियों का भी समाधान हो रहा है।
पंजाब का अद्वितीय कृषि लाभ पंजाब का उत्तरी दोआबा क्षेत्र – जिसमें जालंधर, कपूरथला और नवांशहर शामिल हैं – रोग-मुक्त बीज आलू की खेती के लिए आदर्श कृषि-जलवायु परिस्थितियाँ प्रदान करता है। इन स्थितियों में कम कीट आबादी (एफिड्स और सफेद मक्खी) शामिल है, जो रोग संचरण को काफी कम करती है। इसके अतिरिक्त, राज्य विशेष रूप से प्रमुख आलू रोगजनकों जैसे मस्सा रोग, नेमाटोड, जीवाणु विल्ट और ब्लैक स्कर्फ से मुक्त है। इस प्राकृतिक लाभ के कारण, पंजाब में उगाए गए बीज आलू लंबे समय तक रोग-मुक्त रहते हैं और पूरे देश में वितरण के लिए आदर्श होते हैं, खासकर उन क्षेत्रों में जहाँ खेती की परिस्थितियाँ कम अनुकूल होती हैं।
उत्पादन के पैमाने पर, पंजाब ने 2022 में 1.10 लाख हेक्टेयर से 30.3 लाख टन आलू का उत्पादन किया। उल्लेखनीय रूप से, पंजाब के कुल आलू उत्पादन का लगभग 60% बीज के लिए उपयोग किया जाता है, जो देश के लिए एक प्रमुख बीज आपूर्तिकर्ता के रूप में इसकी भूमिका को मजबूत करता है। आलू की खेती प्रमुख गेहूं-धान चक्र के लिए एक मूल्यवान विकल्प भी प्रदान करती है, जिससे फसल विविधीकरण और किसानों के लिए बेहतर आय सुनिश्चित होती है।
अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी का उपयोग पंजाब बीज प्रमाणीकरण और आपूर्ति श्रृंखला पारदर्शिता में नवाचार के लिए ब्लॉकचेन तकनीक को एकीकृत कर रहा है। पंजाब एग्रो इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन (PAIC) और उसकी सहायक PAGREXCO ने क्रॉपइन टेक्नोलॉजी सॉल्यूशंस के सहयोग से ब्लॉकचेन-संचालित ट्रेसबिलिटी समाधान शुरू किया है। इसका उद्देश्य प्रमाणित रोग-मुक्त बीज आलू का पर्याप्त उत्पादन सुनिश्चित करना, पूरे भारत में गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता को सुविधाजनक बनाना, और कृषि व नियामक मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करके किसानों का विश्वास बढ़ाना है।
यह डिजिटल प्रणाली हितधारकों को खेत से लेकर वितरण तक बीज आलू को ट्रैक करने की अनुमति देती है, जिससे प्रामाणिकता और गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित होता है। PAGREXCO वास्तविक समय में खेत की निगरानी, मोबाइल-सक्षम डेटा कैप्चर, और एंड-टू-एंड आपूर्ति श्रृंखला पारदर्शिता के माध्यम से इसे संभव बनाता है। किसानों द्वारा दर्ज किया गया डेटा एक अपरिवर्तनीय और पारदर्शी ब्लॉकचेन लेजर बनाता है, जिससे खरीदार का विश्वास बढ़ता है।
ब्लॉकचेन के अलावा, पंजाब ने आईसीएआर-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI) द्वारा विकसित टिश्यू कल्चर और एरोपोनिक्स/नेथहाउस तकनीक जैसी उन्नत बीज उत्पादन तकनीकों को अपनाया है। यह आधुनिक दृष्टिकोण पारंपरिक विधि (1:05) की तुलना में गुणन दर को 1:50 तक बढ़ा देता है, जो दस गुना अधिक है। इस नई विधि को विनियमित करने के लिए “द पंजाब टिश्यू कल्चर बेस्ड सीड पोटैटो एक्ट, 2020” और “द पंजाब टिश्यू कल्चर बेस्ड सीड पोटैटो रूल्स, 2021” लागू किए गए हैं, जिनका उद्देश्य गुणवत्ता वाले बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करना और कालाबाजारी को रोकना है।
आपूर्ति श्रृंखला में चुनौतियाँ इन प्रगतियों के बावजूद, पंजाब के आलू बीज उत्पादकों को कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। एक बड़ी समस्या आलू बीज फसल का विपणन है, जिसमें कीमत में उतार-चढ़ाव, विनियमित बाजारों की कमी और मांग का अभाव प्रमुख हैं।
असंगठित उत्पादकों को भंडारण सुविधाओं की कमी (56.66%) और कोल्ड स्टोरेज का उच्च किराया (64.44%) जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही, बिचौलिए की संलिप्तता (63.33%) और गैर-लाभकारी कीमतें (56.66%) भी आम हैं। वहीं, संगठित उत्पादकों के लिए डीहॉलमिंग के लिए कुशल श्रम की कमी (46.66%), बिजली की कमी (48.88%) और नहर के पानी की कमी (46.66%) प्रमुख समस्याएँ हैं। अनुबंध खेती में भी कीमत में उतार-चढ़ाव (40%) और गुणवत्ता की आवश्यकताओं को पूरा करने में कठिनाई (11.11%) की समस्याएँ देखी गई हैं।
भविष्य की दिशा और नीतिगत सुझाव आलू बीज क्षेत्र को बेहतर बनाने के लिए, किसानों ने कई सुधारों का सुझाव दिया है। इनमें दूर के बाजारों तक बीज के परिवहन के लिए प्रोत्साहन और भंडारण सुविधाओं का प्रावधान (81.11% असंगठित, 60% संगठित किसानों ने) शामिल हैं। छोटे कोल्ड स्टोर को बढ़ावा देना (52.22% असंगठित), निर्यात चैनलों को बढ़ाना (50% संगठित), अच्छी गुणवत्ता वाले प्रजनक बीज उपलब्ध कराना, और कृषि-मशीनरी केंद्रों को मजबूत करना भी महत्वपूर्ण कदम हैं। इसके अतिरिक्त, सरकारी एजेंसियों द्वारा अनुबंध खेती का समर्थन और विनियमन (27.77% संगठित किसानों ने) आवश्यक माना गया है।
पंजाब की आलू बीज उत्पादन यात्रा, अपने प्राकृतिक लाभों को उन्नत डिजिटल और कृषि प्रौद्योगिकियों के साथ जोड़कर, इसे कृषि नवाचार का एक मॉडल बनाती है। प्रौद्योगिकी और कृषि का यह मेल सुरक्षित और टिकाऊ खाद्य प्रणालियों को विकसित करने की कुंजी है, जिससे पूरे भारत में गुणवत्ता वाले आलू के बीज की निरंतर आपूर्ति सुनिश्चित होती है और खाद्य सुरक्षा में नए मानक स्थापित होते हैं।